- 23 अक्टूबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, जिसे रबी विपणन सत्र 2020-21 के लिए चिह्नित किया जाना है, को मंजूरी प्रदान की है।
- रबी विपणन सत्र 2020-21 के लिए चिह्नित रबी फसलों के एमएसपी को मंजूरी देकर सरकार उत्पादन की औसत लागत केकरीब डेढ़ गुने तक लाने का प्रयास किया जिसकी घोषणा सरकार ने केन्द्रीय बजट 2018-19 में ही किया था।
- रबी विपणन सत्र 2020-21 (आरएमएस) के लिए, सबसे ज्यादा एमएसपी मसूर (325 रुपये प्रति क्विंटल) की, उसके बाद कुसुम (270 रुपये प्रति क्विंटल) और चना (255 रुपये प्रति क्विंटल) बढ़ाने की अनुशंसा की है।
- सफेद सरसों और राई का एमएसपी 225 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।
- गेहूं और जौ दोनों का एमएसपी 85 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।
- एमएसपी के निर्धारण में उत्पादन पर लागत एक प्रमुख कारक है।
- रबी फसलों के लिए आरएमएस 2020-21 के इस वर्ष के एमएसपी में इस वृद्धि से किसानों को औसत उत्पादन लागत के पर 50 प्रतिशत ज्यादा वापसी (कुसुम को छोड़कर) मिलेगा।
- भारत की भारित औसत उत्पादन लागत के बनिस्पत गेहूं के लिए वापसी 109 प्रतिशत है; जौ के लिए 66 प्रतिशत; चना के लिए 74 प्रतिशत; मसूर के लिए 76 प्रतिशत;सफेद सरसों के लिए 90 प्रतिशत एवं कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है।
रबी विपणन सत्र (आरएमएस)2020-21 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य
क्रम | फसल | उत्पादन लागत* आरएमएस 2020-21 | आरएमएस 2019-20 के लिए एमएसपी | आरएमएस 2020-21 के लिए एमएसपी | एमएसपी में निरपेक्ष वृद्धि | लागत की तुलना में वापसी (प्रतिशत में) |
1. | गेहूं | 923 | 1840 | 1925 | 85 | 109 |
2. | जौ | 919 | 1440 | 1525 | 85 | 66 |
3. | चना | 2801 | 4620 | 4875 | 255 | 74 |
4. | मसूर | 2727 | 4475 | 4800 | 325 | 76 |
5. | सफेद सरसों और सरसों | 2323 | 4200 | 4425 | 225 | 90 |
6. | कुसुम | 3470 | 4945 | 5215 | 270 | 50 |
*व्यापक लागत, जिसमें सभी भुगतान के लागत शामिल होते हैं जैसे कि किराए पर मानव श्रम / घंटा, बैलों द्वारा किया गया श्रम / मशीन द्वारा किया गया श्रम, पट्टे पर ली गई जमीन के किराए का भुगतान, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई पर खर्च, कार्यान्वयन और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल एवं बिजली पर व्यय, कार्यान्वयन और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल एवं बिजली पर व्यय, विविध खर्च और परिवार के श्रम के मूल्य को कम करना आदि शामिल हैं