- पोत परिवहन मंत्रालय के लिए वर्ष 2018 खासा अहम रहा है।
- कारोबार को आसान बनाने के लिए मॉडल रियायत समझौते में संशोधन जैसे नीतिगत फैसलों, दरों से संबंधित दिशानिर्देशों में बदलाव और अन्य कई कदमों के माध्यम से क्षमता विस्तार के लिहाज से बीते चार साल के बेहतरीन प्रदर्शन को बरकरार रखा गया और दक्षता के मानकों में भी सुधार देखने को मिला है।
- सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत 89 परियोजनाओं को पूरा किया गया।
- वहीं 4.32 लाख करोड़ रुपये की 443 परियोजनाएं कार्यान्वयन और विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
- यह साल अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में विकास के लिहाज से खासा उल्लेखनीय है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वाराणसी में गंगा नदी पर मल्टी मॉडल टर्मिनल का शुभारम्भ किया गया।
- गंगा नदी पर कोलकाता से वाराणसी के लिए स्वतंत्रता के बाद पहला कंटेनर कार्गो रवाना किया गया और बिहार के कहलगांव से असम के पांडु के लिए कार्गो के एकीकृत परिवहन का शुभारम्भ किया गया।
- ऐसा तीन जलमार्गों गंगा, ब्रह्मपुत्र और भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के माध्यम से किया गया।
- क्रूज पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें चेन्नई बंदरगाह पर आधुनिक अंतरराष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का शुभारम्भ किया गया और मुंबई-गोवा क्रूज सेवा की शुरुआत की गई।
- इसके साथ ही कौशल विकास क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विजाग और मुंबई में समुद्री एवं जहाज निर्माण उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमएस) और चेन्नई स्थित आईआईटी मद्रास में राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तटीय प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी) की स्थापना की गई।
- इसके साथ ही सागरमाला के अंतर्गत सभी बंदरगाहों पर बहु कौशल विकास केंद्रों (एमएसडीसी) की स्थापना का फैसला लिया गया।
- मंत्रालय द्वारा वर्ष के दौरान किए गए अहम कार्यों का ब्योरा निम्नलिखित दिया जा रहा है।
- बंदरगाह:-
- बंदरगाहों से भारत का मात्रा के लिहाज से 90 प्रतिशत और मूल्य के लिहाज से 70 प्रतिशत बाह्य कारोबार होता है।
- परियोजनाओं का आवंटन और निवेश:-
- वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश और 90 एमटीपीए क्षमता विस्तार से जुड़ी 50 से ज्यादा परियोजनाओं के आवंटन के लक्ष्य पर काम किया गया।
- इसके विपरीत 2017-18 में 4146.73 करोड़ रुपए के निवेश और 21.93 एमटीपीए क्षमता विस्तार वाली 27 परियोजनाओं का ही आवंटन किया गया था।
- नीतिगत पहल:-
- बड़े बंदरगाहों पर क्षमता वृद्धि, परिचालन दक्षता में सुधार और उच्च परिचालन सरप्लस के लिहाज से कई उपलब्धियां हासिल हुईं, जो पोत परिवहन मंत्रालय की निम्नलिखित नीतिगत पहलों से ही संभव हुआ –
- मौजूदा छूट रियायत समझौते (एमसीए) के कुछ प्रावधानों के चलते पीपीपी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए एमसीए में संशोधन किया गया।
- इसका उद्देश्य निवेशकों का भरोसा बढ़ाना और निवेश के लिहाज से बंदरगाह क्षेत्र को आकर्षक बनाना था।
- प्रदर्शन के मानकों के संबंध में बाजार टैरिफ के अनुरूप टैरिफ तय करने के लिए बंदरगाह परिचालकों को छूट देने के लिए टैरिफ संबंधी दिशानिर्देशों में बदलाव किया गया।
- बंदरगाह क्षेत्र में पीपीपी परियोजनाओं में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दे दी गई।
- ज्यादा स्वायत्तता और संस्थागत ढांचे के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के स्थान पर एक नये प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक पर विचार चल रहा है और इसे 16 दिसंबर, 2016 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। इसे अभी लोकसभा की स्वीकृति का इंतजार है।
- प्रमुख बंदरगाहों को श्रम और रोजगार मंत्रालय और सार्वजनिक उपक्रम विभाग के दिशानिर्देशों के क्रम में अपनी सरप्लस निधि को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जमा करने और उनके पेंशन/भविष्य निधि/ग्रैच्युटी फंड में निवेश करने की प्रक्रिया से राहत देने के लिए दिशानिर्देशों में बदलाव किया गया।
- व्यापार सुगम बनाना:-
- व्यापार सुगमता पर विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत वर्ष 2018-19 में 23 पायदान की छलांग लगाकर 77वें पायदान पर पहुंच गया, जबकि 2017-18 में 100वें पायदान पर था।
- व्यापार सुगम बनाने (ईओडीबी) बनाने के क्रम में पोत परिवहन मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों में प्रवास समय और लेनदेन की लागत घटाने के लिए कई मानकों की पहचान की है।
- इनमें मैनुअल प्रपत्रों को खत्म करना, प्रयोगशालाओं से लेकर भागीदार सरकारी एजेंसियों (पीजीए) की सुविधा, सीधे बंदरगाह के लिए डिलिवरी, कंटेनर स्कैनर्स लगाना, ई-डिलिवरी ऑर्डर, आएफआईडी आधारित गेट स्वचालन प्रणाली आदि शामिल हैं।
- इन पहलों को जवाहरलाल नेहरु पोर्ट ट्रस्ट (जेएन पोर्ट) पर पहले ही लागू किया जा चुका है और अन्य प्रमुख बंदरगाहों में भी ऐसा किया जा रहा है।
- मैनुअल प्रपत्रों की व्यवस्था खत्म करने से बंदरगाहों के गेट पर लंबी-लंबी कतारें और प्रतीक्षा समय खत्म हो गया है।
- इससे एक्जिम कार्गो खाली करने का काम तेज हुआ है और बंदरगाह के गेट पर लगने वाली भीड़ कम हुई है।
- सुरक्षा बढ़ाने, बंदरगाह के गेट पर यातायात को निर्बाध बनाने के लिए दिक्कतें दूर करने, आदमी, वाहन, उपकरण और अन्य संपत्तियों की निगरानी और पता लगाने एवं अधिसूचित दरों पर राजस्व संग्रह के लिए आरएफआईडी समाधान को लागू किया गया।
- सभी प्रमुख बंदरगाहों पर एक केंद्रीय वेब आधारित पोर्ट कम्युनिटी प्रणाली शुरू की गई, जिससे सीमा शुल्क, सीएफएस, शिपिंग लाइन और आईसीडी, लाइन्स/एजेंटों, सर्वेयर, स्टीवडोर, बैंकों, कंटेनर फ्रेट स्टेशनों, सरकारी विनियामकीय एजेंसियां, कस्टम हाउस एजेंट, आयातकों, निर्यातकों, कॉनकोर/रेलवे आदि विभिन्न पक्षधारकों के बीच डाटा के प्रवाह संभव होता है।
- मौजूदा प्रणाली पीसीएस 1.0 को अपग्रेड करके पीसीएस 1 एक्स कर दिया गया है।
- पोत परिवहन मंत्रालय ने सभी प्रमुख बंदरगाहों, प्रमुख बंदरागाहों के भीतर सभी टर्मिनलों, निजी बंदरगाहों, निजी टर्मिनलों और सीएफएस/आईसीडी पर सभी पक्षधारकों के लिए ई-इनवॉयस, ई-पेमेंट और ई-डिलिवरी ऑर्डर के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने के लिए 27 मार्च, 2018 को एक आदेश जारी किया।
- एक्जिम कंटेनर की आवाजाही की निगरानी और नजर रखने के लिए दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा विकास निगम (डीएमआईसीडीसी) के अंतर्गत जेएनपीटी पर लॉजिस्टिग डाटा बैंक सेवा शुरू की गई और इससे अन्य प्रमुख बंदरगाहों पर भी लागू किया जा रहा है।
- जेएन पोर्ट बंदरगाह के लिए सीधे डिलिवरी (डीपीडी) और बंदरगाह में सीधे प्रवेश (डीपीई) की सुविधा शुरू करने वाला पहला बंदरगाह बन गया है।
- डीपीडी मार्च, 2016 के 5.42 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त, 2018 में 41.92 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
- जेएनपीटी में निर्यात कंटेनरों के सीधे बंदरगाह में प्रवेश का प्रतिशत 60 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त, 2018 में 76.98 प्रतिशत तक पहुंच गया है। निर्यातकों के लिए प्रति टीईयू 2,000 रुपये की लागत कम हो गई है और डीपीई से उनका 1 से 2 दिन का समय बच रहा है।
- जेएन पोर्ट पर आयात कंटेनरों का प्रवास समय घटकर 2016-17 के 58.08 घंटे से घटकर 2017-18 में 50.82 घंटे पर आ गया है।
- निर्यात कंटेनरों के लिए प्रवास समय 2016-17 के 88.35 घंटे से घटकर 2017-18 में 83.71 घंटे रह गया है।
- 8 मोबाइल स्कैनर की खरीद के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया।
- पारादीप, विशाखापट्टनम, न्यू मंगलोर, मॉरमुगाव, कांडला, कामराजार और कोलकाता बंदरगाहों के लिए कंटेनर स्कैनर खरीदने के संबंध में फैक्ट्री एक्सेप्टैंस टेस्ट (एफएटी) कराया गया।
- जवाहरलाल नेहरु पोर्ट ट्रस्ट में व्यापार को आसान बनाने और कार्गो एक्जिम का प्रवास समय घटाने के लिए कई पहल की गईं।
- तेजी से कार्गो खाली करना सुनिश्चित करने के लिए बंदरगाह राजमार्गों के चौड़ीकरण के अलावा जेएनपीटी में सीमा शुल्क प्रसंस्करण क्षेत्र, केंद्रीय पार्किंग प्लाजा की स्थापना की गई है।
- यहां पर एक कॉमन रेल यार्ड भी विकसित किया गया है।
- जेएनपीटी में यार्ड की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक आरटीजीसी खरीदे गए हैं।
- इसके अलावा व्यापार को आसान बनाने के लिए बंदरगाह में सीधे डिलिवरी और बंदरगाह में सीधे प्रवेश जैसी कई उल्लेखनीय पहल की गई हैं।
- इन सभी सुधारों के बारे में वेबसाइट अपडेट, सोशल मीडिया और नियमित पक्षधारकों की बैठकों के माध्यम से पक्षधारखों को नियमित रूप से सूचित किया जाता रहा है।
- 2018 की प्रमुख पहल/उपलब्धियां
- जेएनपीटी:-
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरु पोर्ट ट्रस्ट (चरण-1) के चौथे कंटेनर टर्मिनल (एफसीटी) का शुभारम्भ किया था।
- यह 7935 करोड़ रुपये की बंदरगाह क्षेत्र की सबसे बड़ी एफडीआई परियोजना है।
- इस कंटेनर के साथ जेएनपीटी की हैंडलिंग क्षमता 5.15 मिलियन टीईयू से बढ़कर 7.55 मिलियन टीईयू हो जाएगी।
- पारादीप पोर्ट ट्रस्ट:-
- 2017-18 में दीनदयाल बंदरगाह (कांडला) के बाद दूसरा ऐसा बंदरगाह बना, जिसने 100 एमटी कार्गो की हैंडलिंग की उपलब्धि हासिल की।
- 13 अक्टूबर, 2018 की सुबह 6 बजे और 14 अक्टूबर, 2018 की रात दो बजे तक तक 20 घंटों के भीतर 27 जहाजों की सफल आवाजाही से अभी तक का नया रिकॉर्ड बना।
- बर्थ के इस्तेमाल के बिना ‘एमटी डेलफाइन’ से खाद्य तेल निकालने के मिडिडेरैनियन मॉर्निंग मेथड को 29 अक्टूबर, 2018 को संभवतः पहली भारत में पेश किया गया।
- वीओसीपीटी:-
- वीओसीपीटी पर गहराई में कमी के कारण उथल पानी वाली बर्थ में रात में नौपरिवहन की सुविधा नहीं थी।
- अप्रैल, 2018 में घाट और तटों के निकट ड्रेजिंग से लगे हुए कोस्टल बर्थ का निर्माण पूरा किया गया।
- इस क्रम में बर्थ में प्रकाश की व्यवस्था के बाद जून, 2018 में डॉकिंग/अन-डॉकिंग के लिए उथले पानी में रात्रि नौवहन की अनुमति दे दी गई।
- विशाखापट्टनम
- विशाखापट्टनम में 13 जुलाई, 2018 को 1062 करोड़ रुपये की बंदरगाह परियोजनाओं का शुभारम्भ किया गया और 679 करोड़ रुपये की बंदरगाह संपर्क परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई।
- इनमें विजाग बंदरगाह के बाह्य बंदरगाह पर लौह अयस्क हैंडलिंग सुविधा को अपग्रेड करना, एच-7 एरिया से बंदरगाह संपर्क मार्ग तक ग्रेड सेपरेटर का निर्माण, सागरमाला के अंतर्गत कॉन्वेंट जंक्शन की बाई-पासिंग और वीपीटी से श्रीलंगर जंक्शन से अनाकापल्ली-सबावरम/पेंडुरती-आनंदपुरम मार्ग (एनएच 16) को जोड़ने वाले 12.7 किलोमीटर लंबे संपर्क मार्ग का विकास शामिल है।
- कोलकाता
- कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट पर पहली बार एक कैप साइज जहाज एम. वी. समझोन 1,64,928 एमटी ड्राई बल्क (कोयला) 17 अक्टूबर, 2018 को लेकर आया।
- दो फ्लोटिंग क्रेनों के माध्यम से इस जहाज से लगभग 1 लाख टन कोयला दो नौकाओं पर उतारा गया।
- भंडारण शुल्क:-
- ऊंचे भंडारण शुल्कों के कारण प्रमुश बंदरगाहों पर पीपीपी परियोजनाएं मुश्किल में फंस गई थीं।
- इंडियन पोर्ट्स एसोसिएशन (आईपीए) के चेयरमैन की अध्यक्षता में बनी एक समिति ने इन मुद्दों पर विचार किया।
- संबंधित समिति की सिफारिशों के आधार पर ऐसे असामान्य भंडारण शुल्कों की समस्या से निबटनने के लिए एक प्रणाली पर काम किया गया और संकटग्रस्त परियोजनाओं को पटरी पर लाया गया।
- इस संबंध 11 जुलाई, 2018 को प्रमुख बंदरगाहों को दिशानिर्देश जारी किए गए।
- अतिरिक्त निधि की उपयोगिता
- मंत्रालय द्वारा फरवरी, 2009 में जारी निर्देशों के तहत प्रमुख बंदरगाहों द्वारा अतिरिक्त निधि को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में निवेश किया जा रहा था।
- बंदरगाहों द्वारा अतिरिक्त निधि को पीएसबी की सावधि जमाओं में जमा करने की परंपरा थी, जिसकी मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में समीक्षा की गई।
- साथ ही श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग द्वारा भविष्य निधि/पेंशन कोष/अतिरिक्त निधि के निवेश पर जारी निर्देशों की समीक्षा हुई।
- इसके बाद मंत्रालय ने 27 जुलाई, 2018 को जारी दिशानिर्देशों के माध्यम से उनके पेंशन/भविष्य निधि/ग्रैच्युटी और अतिरिक्त निधि के निवेश पर पिछले निर्देशों में बदलाव किया गया।
- पीपीपी परियोजनाओं में बोलीदाताओं को सुरक्षा मंजूरी
- प्रमुख बंदरगाहों में सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) परियोजनाओं और ड्रेजिंग परियोजनाओं में भाग ले रहे बोलीदाताओं/कंपनियों को सुरक्षा मंजूरी की वैधता अवधि तीन साल से पांच साल करने के लिए 31 जनवरी, 2018 को दिशानिर्देश जारी कर दिए गए।
- सागरमाला परियोजनाएं:-
- सागरमाला के अंतर्गत 8.8 लाख करोड़ रुपये की 605 से ज्यादा परियोजनाओं की पहचान की गई है।
- इनमें 0.14 लाख करोड़ रुपये की 89 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है और 4.32 लाख करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाएं क्रियान्वयन और विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
- सागरमाला कार्यक्रम का उद्देश्य आयात-निर्यात और घरेलू व्यापार के लिए ढुलाई की लागत घटाने के उद्देश्य से बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देना है।
- बंदरगाह क्षमता लक्ष्य:-
- पोत परिवहन मंत्रालय, राज्य सरकारों के साथ मिलकर कुल बंदरगाह क्षमता को 3550 प्लस मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है, जिससे 2025 तक अनुमानित तौर पर 2500 एमएमटीपीए के ट्रैफिक के लिए सेवाएं दी जा सकेंगी।
- इस दिशा में 249 बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजनाओं की पहचान की गई है।
- इनमें से 107 बंदरगाह क्षमता विस्तार परियोजनाओं (लागत-67,962 करोड़ रुपये) की पहचान 12 प्रमुख बंदरगाहों के मास्टर प्लान से की गई है और अगले 20 साल में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता 794 एमएमटीपीए बढ़ने का अनुमान है।
- बंदरगाहों का आधुनिकीकरण
- उन्नति परियोजना के अंतर्गत 12 प्रमुख बंदरगाहों की दक्षता और उत्पादकता में सुधार के लिए प्रदर्शन के प्रमुख संकेतकों (केपीआई) के वैश्विक बेंचमार्क को अपनाया गया।
- सिर्फ दक्षता में सुधार के माध्यम से 100 एमटीपीए से ज्यादा क्षमता बढ़ाने के लिए 12 प्रमुख बंदरगाहों पर लगभग 116 पहलों की पहचान की गई। लगभग 80 एमटीपीए क्षमता के लिए इनमें से 91 पहलों को लागू कर दिया गया।
- नए बंदरगाहों का विकास
- प्रमुख बंदरगाहों में क्षमता विस्तार की परियोजनाओं के अलावा कुल कार्गो हैंडलिंग क्षमता बढ़ाने के लिए 6 नए बंदरगाह स्थलों वधावन (महाराष्ट्र), एनायम (तमिलनाडु), ताजपुर (पश्चिम बंगाल), पारादीप आउटर हार्बर (ओडिशा), सरकाझी (तमिलनाडु), बेलेकेरी (कर्नाटक) की भी पहचान की गई है।
- तटीय बर्थ योजना
- 633 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के लिए तटीय बर्थ योजना के अंतर्गत 41 परियोजनाओं (1,535 करोड़ रुपये) को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 334 करोड़ रुपये प्रमुख बंदरगाहों/राज्य समुद्री बोर्डों/राज्य सरकारों को जारी कर दिए गए।
- कार्गो की ढुलाई/समुद्री यात्री, राष्ट्रीय जलमार्गों से जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के वास्ते बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए केंद्रीय बर्थ योजना को मार्च, 2020 तक बढ़ाया गया।
- समुद्री एवं जहाज निर्माण उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमएस)
- आईआरएस और सीमेंस की मदद से 766 करोड़ रुपये की लागत से विजाग और मुंबई में एक समुद्री एवं जहाज निर्माण उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमएस) की स्थापना की गई।
- इस केंद्र का उद्देश्य जहाज डिजाइन, विनिर्माण, परिचालन एवं रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) में घरेलू कौशल की जरूरत पूरी करना है।
- इसका दीर्घकालिक उद्देश्य दक्षिण एशिया के एक अंतरराष्ट्रीय नोडल केंद्र के तौर पर उभरना, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे पड़ोसी देशों के विद्यार्थियों को बंदरगाह और समुद्री क्षेत्र में कौशल विकास के लिए आकर्षित करना है।
- वर्ष 2018 में विजाग और मुंबई के कैम्पसों में सीईएमएस को शुरू करने की दिशा में पहल की गई।
- राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तटीय प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी)
- पोत परिवहन मंत्रालय ने देश में बंदरगाह, जलमार्ग और तटों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर नई खोजों और अनुसंधान आधारित इंजीनियरिंग समाधान उपलब्ध कराने के लए चेन्नई स्थित आईआईटी मद्रास में राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तटीय प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी) की स्थापना की। एनटीसीपीडब्ल्यूसी बंदरगाहों, भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) और अन्य संबंधित संस्थानों को आवश्यक तकनीक सहयोग उपलब्ध कराने के लिए पोत परिवहन मंत्रालय की एक तकनीक इकाई के तौर पर काम करेगा।
- इस परियोजना की 70.53 करोड़ रुपये की लागत को मंत्रालय, आईडब्ल्यूएआई और प्रमुख बंदरगाहों द्वारा साझा किया जा रहा है। एनटीसीपीडब्ल्यूसी बंदरगाह और समुद्री मुद्दों के समाधान के लिए स्वदेशी सॉफ्टवेयर और तकनीक उपलब्ध कराएगा।
- समुद्री लॉजिस्टिक के लिए बहु कौशल विकास केंद्र
- सागरमाला के अंतर्गत बंदरगाह और समुद्री क्षेत्र में नियोक्ताओं की कौशल संबंधी जरूरतों को पूरा करने और बंदरगाहों के 100 प्रतिशत कर्मचारियों को कुशल बनाने के क्रम में सभी प्रमुख बंदरगाहों पर बहु कौशल विकास केंद्रों (एमएसडीसी) का विकास किया जा रहा है।
- इस संबंध में जेएनपीटी एमएसडीसी की स्थापना पहले ही की जा चुकी है और एक निजी परिचालन साझेदार ऑल कार्गो का चयन कर लिया गया है।
- चेन्नई, विशाखापट्टनम और कोच्चि बंदरगाहों पर प्रक्रिया जारी है।
- ट्रांसशिपमेंट
- पोत परिवहन मंत्रालय ने आयात-निर्यात के कंटेनरों और खाली कंटेनरों की तटीय आवाजाही के लिए व्यापारिक समुद्री अधिनियम, 1958 की धारा 406 और 407 के तहत नियमों को लचीला बनाने के लिए एक अधिसूचना और सामान्य आदेश जारी किया है।
- इससे भारतीय इकाइयों को विदेशी जहाजों की सेवाएं लेना और विदेशी जहाजों के लिए तटीय मार्गों पर परिवहन आसान हो जाएगा।
- आयात-निर्यात ट्रांसशिपमेंट कंटेनरों और खाली कंटेनरों को छूट मिलने से – (i) विदेशी बंदरगाहों से भारतीय बंदरगाहों तक कार्गो की ट्रांसशिपमेंट को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे भारतीय कंटेनरों की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों का मुनाफा बढ़ेगा और रोजगार पैदा होंगे, (ii) शिपिंग लाइनों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने से ढुलाई की दरें कम होंगी और भारतीय व्यापार ज्यादा प्रतिस्पर्धी होगा, (iii) लॉजिस्टिक क्षमता में सुधार से प्रतिस्पर्धा बढ़ने से भारत के आयात-निर्यात व्यापार की प्रतिस्पर्धी क्षमता में इजाफा होगा, (iv) कंटेनरों के तटीय परिवहन को प्रोत्साहन मिलेगा, (v) भारत में एक अनुकूल माहौल विकसित होने से भारतीय बंदरगाह विदेशी बंदरगाहों को जाने/से आने वाले कार्गो को आकर्षिक कर सकेंगे और (vi) भारत में विदेशी मुद्रा को बचाया जा सकेगा।
- जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी)
- आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 3 जनवरी, 2018 को विश्व बैंक की तकनीक और वित्तीय सहायता से 5369 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के क्रियान्वयन को स्वीकृति दे दी थी।
- जेएमवीपी का उद्देश्य 2000 डेड वेट टन (डीडब्ल्यूटी) तक के जहाजों के परिवहन के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (एनडब्ल्यू-1) की स्थिति में सुधार करना है।
- इस परियोजना की मुख्य गतिविधियों में बहु-मॉडल टर्मिनल, जल बंधों का निर्माण, नदी सूचना प्रणाली, चैनल मार्किंग, नदी प्रशिक्षण और संरक्षण कार्य शामिल हैं।
- इस परियोजना के मार्च, 2023 तक पूरा होने का अनुमान है।
- 375 मिलियन डॉलर के आईबीआरडी कर्ज से संबंधित कर्ज समझौता और परियोजना समझौता 2 फ़रवरी, 2018 को हो गया था, जो 23 मार्च, 2018 को प्रभावी हो गया था।
- जेएमवीपी के विभिन्न भागों के क्रियान्वयन की स्थिति निम्नलिखित है-
- फेयरवे (जहाज मार्ग) विकास
- फरक्का और कहलगांव (146 किलोमीटर) के बीच के टुकड़े की गहराई सुनिश्चित करने के लिए काम शुरू हो गया है।
- इसी प्रकार सुल्तानगंज-महेंदरपुर टुकड़े (74 किलोमीटर) और महेंदरपुर-बाढ़ टुकड़े (71 किलोमीटर) के लिए निविदाओं के आकलन का कार्य प्रगति में है।
- बहु-मॉडल टर्मिनल, वाराणसी
- 206 करोड़ रुपये की लागत से बने 1.26 एमटीपीए की मौजूदा क्षमता के साथ बहु-मॉडल टर्मिनल का माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुभारम्भ किया गया था।
- यह गंगा नदी पर बना पहला बहु-मॉडल टर्मिनल है, जिससे प्रत्यक्ष रूप से 500 और अप्रत्यक्ष रूप से 2000 रोजगार पैदा होने का अनुमान है।
- बहु-मॉडल टर्मिनल, साहिबगंज
- टर्मिनल के निर्माण पर 280.90 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है और यह जून, 2019 तक पूरा होना प्रस्तावित है।
- अभी तक 54.81 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
- बहु-मॉडल टर्मिनल, हल्दिया
- 517.36 करोड़ रुपये की लागत से इस टर्मिनल का निर्माण कार्य 30 जून, 2017 को शुरू हुआ था और इसको दिसंबर, 2019 तक पूरा होना प्रस्तावित है।
- अभी तक 22.43 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
- न्यू नैविगेशन लॉक, फरक्का
- 359.19 करोड़ रुपये से इस कार्य को 24 नवम्बर, 2016 को शुरू किया गया था और अप्रैल, 2019 तक पूरा होना प्रस्तावित है। अभीतक 27.97 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
- वाराणसी में फ्रेट विलेज और लॉजिस्टिक हब
- वाराणसी में लॉजिस्टिक दक्षता, कार्गो एग्रीगेशन, भंडारण सुविधाओं और बहु-मॉडल परिवहन में सुधार के लिए एक फ्रेट विलेज और लॉजिस्टिक हब का प्रस्ताव है।
- 165 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना की स्थापना से संबंधित निवेश-पूर्व गतिविधियां कराने के प्रस्ताव का मूल्यांकन डेलीगेटेड इन्वेस्टमेंट बोर्ड (डीआईबी) द्वारा किया गया और सक्षम प्राधिकरण द्वारा इसे स्वीकृति दी गई।
- एनडब्ल्यू-4 का विकास
- मुक्तियाला से विजयवाड़ा तक मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के आगामी राजधानी शहर अमरावती के लिए निर्माण सामग्री के परिवहन के लिए एनडब्ल्यू-4 के विकास के चरण-1 के तहत रो-रो का परिचालन मार्च, 2018 से शुरू हो गया और अक्टूबर, 2018 तक कुल 2.35 लाख एमटी कार्गो भेजा गया।
- आठ नए एनडब्ल्यू का विकास
- 2017-18 के दौरान मांडवी (एनडब्ल्यू-68), जुआरी (एनडब्ल्यू-111), कुंबरजुआ (एनडब्ल्यू-27), बारक (एनडब्ल्यू-16), गंडक (एनडब्ल्यू-37), रूपनारायण (एनडब्ल्यू-86), अलपुझा-कोट्टायम-अथिरमपुझा नहर (एनडब्ल्यू-9) और सुंदरबन (एनडब्ल्यू-97) पर विचार किया गया।
- गोवा के तीन एनडब्ल्यू (27, 68 और 111) के विकास के लिए आईडब्ल्यूएआई, मरमुगांव पोर्ट ट्रस्ट (एमपीटी) और कैप्टन ऑफ पोर्ट्स, गोवा सरकार के बीच 30 मई, 2018 को त्रिपक्षीय समझौता हुआ।
- एमपीटी द्वारा फ्लोटिंग जेटीज के लिए निविदा प्रक्रिया और नौपरिवहन के लिए सहायता अग्रिम चरण में है।
- नई रो-रो सेवाएं
- एनडब्ल्यू-4 पर इब्राहिमपट्टनम और लिंगयापलेम के बीच रो-रो सेवाएं शुरू हो गई हैं, जिससे सड़क मार्ग की दूरी लगभग 70 किलोमीटर कम हो गई है।
- आईडब्ल्यूएआई ने असम सरकार के साथ मिलकर असम में नीमती-मजूली द्वीप को जोड़ने के लिए एक नई रो-रो सेवा का शुभारम्भ किया गया। आईडब्ल्यूएआई जहाज भूपेन हजारिका द्वारा दी जा रही सुविधा की क्षमता 8 ट्रक और 100 यात्रियों की है।
- रो-रो सुविधा सिर्फ 12.7 किलोमीटर की है, जिससे 423 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है जो पहले ट्रक तेजपुर रोड पुल होते हुए नीमती-मजूली द्वीप तक तय करते थे।
- रो-रो जहाजों की खरीद
- आईडब्ल्यूएआई ने 110 करोड़ रुपये की लागत से 10 रो-रो/रो-पैक्स जहाजों के निर्माण और आपूर्ति के लिए एम/एस कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड के साथ 11 जुलाई, 2018 को एक समझौता किया गया।
- इन जहाजों की आपूर्ति जून, 2019 से दिसंबर, 2019 के बीच की जाएगी, जिन्हें एनडब्ल्यू-1, 2 और 3 में उतारा जाएगा।
- जल मार्गों (एनडब्ल्यू) पर कार्गो का परिवहन
- आईडब्ल्यूएआई राष्ट्रीय जलमार्गों पर कार्गो के नौवहन को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है।
- 2018-19 की पहली छमाही कार्गो ट्रैफिक 33.8 एमएमटी तक बढ़ गया है, जो 2017-18 की समान अवधि के 16.7 एमएमटी की तुलना में 102 प्रतिशत ज्यादा है।
- प्रमुख पहल निम्नलिखित हैं-
- भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के माध्यम से एनडब्ल्यू-1 पर कलहगांव (बिहार) से एनडब्ल्यू-2 पर ढुबरी (असम) तक 2085 किलोमीटर लंबे मार्ग पर आईडब्ल्यूटी कार्गो भेजने का परीक्षण पूरा किया गया।
- इस कार्गो में 1235 एमटी फ्लाई ऐश आईडब्ल्यूएआई के ‘त्रिशूल’ से भेजा गया।
- भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से एनडब्ल्यू-1 पर हल्दिया डॉक कॉम्पलेक्स से एनडब्ल्यू-2 तक 925 एमटी आयातित कोयले का नौवहन किया गया, जिसकी दूरी 1205 किलोमीटर थी।
- राष्ट्रीय जलमार्गों पर कंटेनर कार्गो की पहली खेप में पेप्सिको के 16 कंटेनर कोलकाता से वाराणसी (1280 किलोमीटर) तक 12 दिनों में भेजे गए।
- यह काम नवंबर, 2018 में हुआ था।
- वापसी में इफ्को फूलपुर के उर्वरक, डाबर उत्पाद और पेप्सिको उत्पाद वाराणसी से कोलकाता के लिए भेजे गए।
- आईएमओ परिषद के लिए भारत पुनः निर्वाचित
- आईएमओ के 30वें असेंबली सत्र के दौरान भारत को दो साल 2018-19 के लिए श्रेणी ‘बी’ के अंतर्गत इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाजेशन (IMO) परिषद के लिए पुनः चयनित किया गया।
- क्रूज शिपिंग
- चेन्नई में 12 अक्टूबर, 2018 को एक आधुनिक अंतरराष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का शुभारम्भ किया गया।
- 20 अक्टूबर, 2018 को हुए एक समारोह में मुंबई-गोवा क्रूज सेवा का शुभारम्भ किया गया।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग
- बांग्लादेश
- भारत और बांग्लादेश के बीच भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट पर आशुगंज-जकीगंज और सिराजगंज-दाईख्वावा खंडों पर जलमार्ग के विकास के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच एक समझौता हुआ, जिसकी लागत 80:20 के अनुपात (भारतः बांग्लादेश) में साझा की जाएगी।
- बांग्लादेश इनलैंड वाटर ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (बीआईडब्ल्यूटीए) ने दोनों खंडों के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिए हैं और जल्द ही कार्य शुरू होने का अनुमान है।