पृष्ठभूमि :-
- ‘भारतीय वानिकी का पिता’ डेट्रिच ब्रैंडिस को कहा जाता है।
- ब्रिटिश काल में भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति वर्ष 1894 में प्रकाशित की गई।
- स्वतंत्र भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति वर्ष 1952 में तैयार की गई।
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट को द्विवार्षिक आधार पर भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा वर्ष 1987 से प्रकाशित किया जाता है।
- इस शृंखला की भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2017 15वीं रिपोर्ट है।
भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2017 महत्वपूर्ण तथ्य :-
- केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने 12 फरवरी, 2018 को भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2017 (India State of Forest Report, 2017) जारी किया।
- ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017’ के अनुसार वन क्षेत्र के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में है।
- ऐसा तब है जबकि बाकी 9 देशों में जनसंख्या घनत्व 150 व्यक्ति/वर्ग किलोमीटर है और भारत में यह 382 व्यक्ति/वर्ग किलोमीटर है।
- भारत के भू-भाग का 24.4 प्रतिशत हिस्सा वनों और पेड़ों से घिरा है, हालांकि यह विश्व के कुल भूभाग का केवल 2.4 प्रतिशत हिस्सा है और इन पर 17 प्रतिशत मनुष्यों की आबादी और मवेशियों की 18 प्रतिशत संख्या की जरूरतों को पूरा करने का दवाब है।
- वनों पर मानवीय आबादी और मवेशियों की संख्या के बढ़ते दवाब के बावजूद भारत अपनी वन सम्पदा को संरक्षित करने और उसे बढ़ाने में सफल रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत को दुनिया के उन 10 देशों में 8 वां स्थान दिया गया है जहां वार्षिक स्तर पर वन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज हुई है।
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट,2017 के अनुसार देश में वन और वृक्षावरण की स्थिति में 2015 की तुलना में 8021 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
- इसमें 6,778 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि वन क्षेत्रों में हुई है, जबकि वृक्षावरण क्षेत्र में 1243 वर्ग किलोमीटर की बढोत्तरी दर्ज की गई है।
भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2017 महत्वपूर्ण तथ्य
| |
देश में कुल वन एवं वृक्षावरण | 802088 वर्ग किमी. |
भौगोलिक क्षेत्रफल में वन एवं वृक्षावरण का हिस्सा
| 24.39 प्रतिशत
|
भौगोलिक क्षेत्रफल में वनों का हिस्सा
| 21.54 प्रतिशत (708273 वर्ग किमी)
|
वनावरण क्षेत्र में वृद्धि
| 6778 वर्ग किमी.
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वृक्षावरण क्षेत्र में वृद्धि
| 1243 वर्ग किमी.
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कुल वनावरण एवं वृक्षावरण क्षेत्र में वृद्धि
| 8021 वर्ग किमी.
|
- देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में वनों और वृक्षावरण क्षेत्र का हिस्सा 24.39 प्रतिशत है।
- इसमें सबसे उत्साहजनक संकेत घने वनों का बढ़ना है। घने वनों का क्षेत्र बढ़ने से खुले वनों का क्षेत्र भी बढ़ा है।
- घने वन क्षेत्र वायुमंडल से सर्वाधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड सोखने का काम करते हैं।
वनावरण क्षेत्र में वृद्धि वाले राज्य
| वर्ग किमी.में |
आंध्र प्रदेश
| 2,141 |
कर्नाटक
| 1,101 |
केरल
| 1,043 |
ओडिशा
| 885 |
तेलंगाना
| 565 |
वनावरण क्षेत्र में कमी वाले राज्य | वर्ग किमी.में |
मिजोरम | 531 |
नगालैंड | 450 |
अरुणाचल प्रदेश | 190 |
त्रिपुरा | 164 |
मेघालय | 116 |
सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य | प्रतिशत में |
लक्षद्वीप | 90.33 |
मिजोरम | 86.27 |
अंडमान निकोबार द्वीप समूह
| 81.73 |
सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य | क्षेत्रफल वर्ग किमी.में
|
मध्य प्रदेश
| 77,414 |
अरुणाचल प्रदेश | 66,964
|
छत्तीसगढ़ | 55,547 |
- रिपोर्ट के ताजा आंकलन के अनुसार देश के 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत भू-भाग वनों से घिरा है।
- इनमें से 7 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों जैसे मिजोरम, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय और मणिपुर का 75 प्रतिशत से अधिक भूभाग वनाच्छादित है।
- जबकि 8 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों – त्रिपुरा, गोवा, सिक्किम, केरल, उत्तराखंड, दादर नागर हवेली, छत्तीसगढ और असम का 33 से 75 प्रतिशत के बीच का भूभाग वनों से घिरा है।
- देश का 40 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र 10 हजार वर्ग किलोमीटर या इससे अधिक के 9 बड़े क्षेत्रों के रूप में मौजूद है।
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2017 के अनुसार देश में कच्छ वनस्पति का क्षेत्र 4921 वर्ग किलोमीटर है। इसमें वर्ष 2015 के आकलन की तुलना में कुल 181 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
- कच्छ वनस्पति वाले सभी 12 राज्यों में कच्छ वनस्पति क्षेत्र में पिछले आंकलन की तुलना में सकारात्मक बदलाव देखा गया है।
- कच्छ वनस्पति जैव विविधता में समृद्ध होती है जो कई तरह की पारिस्थितिकीय आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार देश में वाह्य वन एवं वृक्षावरण का कुल क्षेत्र 582.377 करोड़ घन मीटर अनुमानित है, जिसमें से 421.838 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों के अंदर है, जबकि 160.3997 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों के बाहर है।
- पिछले आकलन की तुलना में बाह्य एवं वृक्षावरण क्षेत्र में 5.399 करोड़ घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें 2.333 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के अंदर तथा 3.0657 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के बाहर हुई है।
- इस प्रकार से यह वृद्धि पिछले आकलन की तुलना में 3 करोड़ 80 लाख घन मीटर रही।
- रिपोर्ट में देश का कुल बांस वाला क्षेत्र 1.569 करोड़ हेक्टेयर आकलित किया गया है।
- वर्ष 2011 के आकलन की तुलना में देश में कुल बांस वाले क्षेत्र में 17.3 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। बांस के उत्पादन में वर्ष 2011 के आकलन की तुलना में 1.9 करोड़ टन की वृद्धि दर्ज हुई है।
- सरकार ने वन क्षेत्र के बाहर उगाई जाने वाली बांस को वृक्षों की श्रेणी से हटाने के लिए हाल ही में संसद में एक विधेयक पारित किया है।
- इससे लोग निजी भूमि पर बांस उगा सकेंगे जिससे किसानों की आजीविका बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे देश में हरे-भरे क्षेत्रों का दायरा भी बढ़ेगा और कार्बन सिंक बढाने में भी मदद मिलेगी।
- यह रिपोर्ट भारत सरकार की डिजिटल इंडिया की संकल्पना पर आधारित है, इसमें वन एवं वन संसाधनों के आकलन के लिए भारतीय दूर संवेदी उपग्रह रिसोर्स सेट-2 से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है।
- रिपोर्ट में सटीकता लाने के लिए आंकड़ों की जांच के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।
- जल संरक्षण के मामले में वनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट में वनों में स्थित जल स्रोतों का 2005 से 2015 के बीच की अवधि के आधार पर आकलन किया गया है, जिससे पता चला है कि ऐसे जल स्रोतों में आकलन अवधि के दौरान 2647 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज हुई है।
- इनमें महाराष्ट्र (432 वर्ग किलोमीटर), गुजरात (428 वर्ग किलोमीटर) एवं मध्य प्रदेश (389 वर्ग किमी) शीर्ष तीन राज्य हैं।
Bhaisahab aapne chhattisgarh ko 3rd number me liya hai. Hamare yahan vyapam k exam me issko 4th le liya hai. Agar aap sahi hai to mujhe source bhejiye. Isska dawa apatti lagana hai
Nice sir
Good question thankyou sir