- 11 अप्रैल, 2020 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक राष्ट्रीय महत्व के संस्थान श्री चित्र तिरुनल इंस्टीच्यूट फार मेडिकल साईंसेज एंड टेक्नोलाजी (एससीटीआईएमएसटी) ने कोविड-19 के लिए नवीन ब्लड प्लाज्मा थेरेपी की खोज की।
- तकनीकी रूप से ‘ कन्वलसेंट-प्लाज्मा थेरेपी‘ कहे जाने वाले इस उपचार का उद्वेश्य किसी बीमार व्यक्ति के उपचार के लिए ठीक हो चुके व्यक्ति द्वारा हासिल प्रतिरक्षी शक्ति का उपयोग करना है।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एससीटीआईएमएसटी को यह नवीन उपचार करने के लिए मंजूरी दे दी है।
- क्या है कन्वलसेंट-प्लाज्मा थेरेपी :-
- जब एक पैथोजेन की तरह का नोवेल कोरोना वायरस संक्रमित करता है तो हमारी प्रतिरक्षी प्रणाली एंटीबाडीज का उत्पादन करती है।
- पुलिस के कुत्तों की तरह एंटीबाडीज आक्रमणकारी वायरस की पहचान करते हैं और चिन्हित करते हैं।
- श्वेत रक्त कोशिकाएं पहचाने गए घुसपैठियों को संलगन करती हैं और शरीर संक्रमण से मुक्त हो जाता है।
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन की तरह ही यह थेरेपी ठीक हो चुके व्यक्ति से एंटीबाडी को एकत्रित करती है और बीमार व्यक्ति में समावेशित कर देती है।
- एंटीबाडीज क्या होते हैं ?
- एंटीबाडीज किसी माइक्रोब द्वारा किसी संक्रमण की अग्रिम पंक्ति प्रतिरक्षी अनुक्रिया होते हैं।
- वे नोवेल कोरोना वायरस जैसे किसी आक्रमणकारी का सामना करते समय बी लिम्फोसाइट्स नामक प्रतिरक्षी कोशिकाओं द्वारा स्रावित विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हैं।
- प्रतिरक्षी प्रणाली एंटीबाडीज की रूपरेखा तैयार करते हैं जो प्रत्येक आक्रमणकारी पैथोजेन के प्रति काफी विशिष्ट होते हैं।
- एक विशिष्ट एंटीबाडी और इसका साझीदार वायरस एक दूसरे के लिए बने होते हैं।
- यह उपचार किस प्रकार दिया जाता है ?
- जो व्यक्ति कोविड-19 की बीमारी से ठीक हो चुका है, उससे खून निकाला जाता है। वायरस को बेअसर करने वाले एंटीबाडीज के लिए सीरम को अलग किया जाता है और जांचा जाता है।
- कन्वलसेंट सीरम, जोकि किसी संक्रामक रोग से ठीक हो चुके व्यक्ति से प्राप्त ब्लड सीरम है और विशेष रूप से उस पैथोजेन के लिए एंटीबाडीज में समृद्ध है, को तब कोविड-19 के रोगी को दिया जाता है। रोगी निष्क्रिय प्रतिरक्षण प्राप्त कर लेता है।
- ब्लड सीरम निकालने और रोगी को दिए जाने से पहले संभावित डोनर की जांच की जाती है।
- पहली बात यह कि स्वाब टेस्ट निगेटिव होनी चाहिए और संभावित डोनर को स्वस्थ घोषित होना चाहिए। इसके बाद ठीक हो चुके व्यक्ति को दो सप्ताह तक इंतजार करना चाहिए। या फिर संभावित डोनर को कम से कम 28 दिनों तक अलक्षणी होना चाहिए। इनमें से दोनों ही अनिवार्य हैं।
- कौन यह उपचार प्राप्त करेगा ?
- वर्तमान में इसकी अनुमति केवल बुरी तरह से संक्रमित रोगियों के लिए सीमित उपयोग हेतु एक प्रायोगिक थेरेपी के रूप में दी गई है।
- यह टीकाकरण से अलग कैसे है?
- यह थेरेपी निष्क्रिय टीकाकरण के समान है। जब कोई टीका दिया जाता है तो प्रतिरक्षी प्रणाली एंटीबाडीज का निर्माण करती है।
- इस प्रकार, बाद में जब टीका प्राप्त कर चुका व्यक्ति उस पैथोजेन से संक्रमित हो जाता है तो प्रतिरक्षी प्रणाली एंटीबाडीज स्रावित करती है और संक्रमण को निष्प्रभावी बना देती है।
- टीकाकरण जीवन पर्यंत प्रतिरक्षण देता है। निष्क्रिय एंटीबाडी थेरेपी के मामले में, इसका प्रभाव तभी तक रहता है जब तक इंजेक्ट किए गए एंटीबाडीज खून की धारा में रहते हैं। दी गई सुरक्षा अस्थायी होती है।
- इससे पहले कि कोई शिशु अपना खुद का प्रतिरक्षण तैयार करे, माता अपने दूध के जरिये एंटीबाडीज अंतरित करती है।
- इतिहास:-
- 1890 में, जर्मनी के फिजियोलाजिस्ट इमिल वान बेहरिंग ने खोज की थी कि डिपथिरिया से संक्रमित एक खरगोश से प्राप्त सीरम डिपथिरिया संक्रमण को रोकने में प्रभावी है।
- बेहरिंग को 1901 में दवा के लिए सर्वप्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- उस समय एंटीबाडीज ज्ञात नहीं था। कन्वलसेंट-प्लाज्मा थेरेपी कम प्रभावी था और इसके काफी साइड इफेक्ट थे। एंटीबाडीज फ्रैक्शन को अलग करने में कई वर्ष लगे। फिर भी अलक्षित एंटीबाडीज और अशुद्धियों के कारण साइड इफेक्ट होते रहे।
- क्या यह प्रभावी है ?
- हमारे पास बैक्टिरियल संक्रमण के खिलाफ काफी एंटीबायोटिक्स हैं। तथापि, हमारे पास प्रभावी एंटीवायरल्स नहीं हैं।
- जब कभी कोई नया वायरल प्रकोप होता है तो इसके उपचार के लिए कोई दवा नहीं होती। इसलिए, कन्वलसेंट सीरम का उपयोग पिछले वायरल महामारियों के दौरान किया गया है।
- 2009-10 के एच1एन1 इंफ्लुएंजा वायरस महामारी के प्रकोप के दौरान इंटेसिंव केयर की आवश्यकता वाले संक्रमित रोगियों का उपयोग किया गया। निष्क्रिय एंटीबाडी उपचार के बाद, सीरम उपचारित रोगियों ने नैदानिक सुधार प्रदर्शित किया। यह प्रक्रिया 2018 में इबोला प्रकोप के दौरान भी उपयोगी रही।
- क्या यह सुरक्षित है ?
- आधुनिक ब्लड बैंकिंग तकनीक जो रक्त जनित पैथोजीन की जांच करते हैं, मजबूत है।
- डोनर एवं प्राप्तकर्ता के खून के प्रकारों को मैच करना मुश्किल नहीं है। इसलिए, अनजाने में ज्ञात संक्रमित एजेंटों को ट्रांसफर करने या ट्रांसफ्यूजन रियेक्शन पैदा होने के जोखिम कम हैं।
- एंटीबाडीज प्राप्तकर्ता में कितने समय तक बना रहेगा ?
- जब एंटीबाडी सीरम दिया जाता है तो तो यह प्राप्तकर्ता में कम से कम तीन से चार दिनों तक बना रहेगा। इस अवधि के दौरान बीमार व्यक्ति ठीक हो जाएगा।
- अमेरिका एवं चीन की अनुसंधान रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि ट्रांसफ्यूजन प्लाज्मा के लाभदायक प्रभाव पहले तीन से चार दिनों में प्राप्त होते हैं, बाद में नहीं।
- चुनौतियां:-
- मुख्य रूप से जीवित बचे लोगों से प्लाज्मा की उल्लेखनीय मात्रा प्राप्त करने में कठिनाई के कारण यह थेरेपी उपयोग में लाये जाने के लिए सरल नहीं है।
- कोविड-19 जैसी बीमारियों में, जहां अधिकांश पीड़ित उम्रदराज हैं और हाइपरटेंशन, डायबिटीज और ऐसे अन्य रोगों से ग्रसित हैं, ठीक हो चुके सभी व्यक्ति स्वेच्छा से रक्त दान करने के लिए तैयार नहीं होंगे।
संभावित प्रश्न
प्रश्न- 11 अप्रैल, 2020 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत राष्ट्रीय महत्व के किस संस्थान ने कोविड-19 के लिए नवीन ब्लड प्लाज्मा थेरेपी की खोज की?
(a) एम्स दिल्ली
(b) एम्स भुवनेश्वर
(c) राष्ट्रीय विषाणु संस्थान
(d) श्री चित्र तिरुनल इंस्टीच्यूट फार मेडिकल साईंसेज एंड टेक्नोलाजी
उत्तर – (d)