- राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद की स्थापना मण्डी समितियों की विभिन्न गतिविधियों और कल्याणकारी योजनाओं के आयोजन नियंत्रण और मार्गदर्शन के लिए वर्ष 1973 में राज्य स्तर पर की गयी थी।
- किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित व्यवहार और उचित समर्थन मूल्य पाने के लिए मण्डी परिषद ने एक प्रभावशाली ढंग से विभिन्न अधिनियमों को लागू करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- परिणामस्वरूप, कुल आगमन और आय समय के साथ बढ़ रही है।
- कृषि वर्ष 1972-73 में राज्य का कुल आगमन 90 लाख मी टन था जबकि यह कृषि वर्ष 2017-18 में बढ़ कर 604.16 लाख मी. टन हो गया है।
- इसी प्रकार, 1972-73 में सभी मंडियों की कुल आय 92 करोड़ रुपए थी और 2017-18 में यह बढ़कर 1635.31 करोड़ रुपए हो गयी।
- किसानों को लाभ :-
- वर्तमान में निर्माता-विक्रेताओं पर प्रभारित किए जाने वाले एकाधिक व्यापार प्रभारों, लेवी और वसूलियों को कम करना।
- सही वजन और तराजू का सत्यापन कराना और यह देखना कि निर्माता-विक्रेता अपने उचित मूल्य से वंचित न रह जाएँ।
- बाजार समितियों की स्थापना करना जिसमें कृषि उत्पादकों का विधिवत प्रतिनिधित्व होगा।
- यह सुनिश्चित करना कि कृषि उत्पादक पूरे बाजार में सुधार के लिए बाजार में धन के उपयोग में अपनी बात रख सकें।
- कृषि उपज की बिक्री से संबंधित विवादों का उचित समाधान प्रदान करना।
- बाजार में निर्माता-विक्रेता को सुविधाएं प्रदान करना।
- बेहतर भंडारण सुविधाओं की व्यवस्था करना।
- निर्माता-विक्रेता से अनुचित और अनधिकृत प्रभार एवं लेवी पर रोक लगाना।
- कृषि उत्पादकों को उनकी उपज में काम करने वाले बाजारों के संबंध में नवीनतम स्थिति से अवगत कराने के उद्देश्य से बाजार आसूचना की पर्याप्त व्यवस्था करना।
- अन्य तथ्य :-
- उत्तर प्रदेश मण्डी परिषद ने संबंधित मण्डी समितियों द्वारा मैंगो पैक हाउस चलाना प्रारंभ करने के लिए एपीडा से अनुमति प्राप्त कर ली है।
- उत्तर प्रदेश की आम की तीन प्रजातियों नामशः दशहरी, चैसा और लंगड़ा को ‘नवाब’ ब्रांड नाम के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में शुरू किया गया है।
- वर्ष 2004 में, नवाब ब्रांड के 10 टन आम विभिन्न देशों को निर्यात किये गये थे।
- अब मैंगो पैक हाउस का संचालन व प्रबंधन संगंठन को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत कराकर प्रबंधित किया जाएगा।
- मण्डी परिषद की भूमिका सिर्फ कृषि उत्पादों के क्रय-विक्रय तक सीमित नहीं होगी बल्कि मण्डी परिषद पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट यानी अपने उत्पादों को सुरक्षित व बेहतर ढंग से रखने और बाजार में लाने, उत्पादों का जीवन काल बढ़ाने आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।
- किसान की कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन तथा अन्य संबंधित समस्याओं पर विशेषज्ञों की सलाह प्राप्त करने के लिए कृषक हेल्प लाइन योजना चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर तथा इलाहाबाद ड्रीम्ड कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से मंडी परिषद द्वारा चलाई जा रही है।
- विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादों की बाजार दरों और वर्तमान में क्रियान्वित की जा रही योजनाओं व अन्य गतिविधियों के बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए मण्डी परिषद के संभागीय कार्यालयों में एक मण्डी हेल्प लाइन (1800-180-4555) शुरू की गयी है।
- उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था :-
- भारतीय बीज अधिनियम- 1966 की धारा-8 के अधीन 5 अक्टूबर, 1976 को उ.प्र. राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना की गयी।
- इसे सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 में विहित प्राविधानों के अन्तर्गत पंजीकृत कराया गया।
- संस्था ने प्रदेश में बीजों के प्रमाणीकरण का कार्य फसल सत्र खरीफ 1977 से प्रारम्भ किया।
- उद्देश्य :-
- बीज अधिनियम 1966 की धारा-8 के अंर्तगत स्थापित बीज प्रमाणीकरण अभिकरण के समस्त निर्धारित दायित्वो की पूर्ति करना।
- प्रदेश के कृषकों/बीज उत्पादक संस्थाओं द्वारा बीजोत्पादन हेतु बोई गई एवं पंजीकृत करायी गई बीज फसलों का भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानकों का पालन करते हुए फसल स्तर पर तथा बीज स्तर पर प्रमाणीकरण करना।
- बीज उत्पादन कार्यक्रम में प्रमाणित बीजों की आनुवांशिक शुद्धता, भौतिक शुद्धता एवं अंकुरण क्षमता मानको के अनुरूप सुनिश्चित कराना ।
- प्रमाणित बीजों मे आनुवंशिक व भौतिक शुद्धता तथा अंकुरण क्षमता मानकों के अनुरूप सुनिश्चित कराना।
- बीज जनित बीमारियों को भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानकों के अनुरूप नियंत्रित रखना।
- बीज प्रमाणीकरण प्रकिया के माध्यम से प्रदेश के कृषकों को उच्च गुणता वाले बीज सुलभ कराना।
- प्रदेश की बीज प्रतिस्थापन दर में अपेक्षित वृद्धि हेतु प्रशिक्षण तथा प्रचार/प्रसार के माध्यम से कृषकों में प्रमाणित बीजों के प्रयोग एवं बीजोत्पादन कार्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना।
- अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :-
- वर्ष 2016–17 चतुर्थ अग्रिम अनुमान के अनुसार तीन सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में महत्वपूर्ण फसलों का उत्पादन
- चावल – पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब।
- गेंहू – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब।
- मक्का – महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश।
- कुल मोटे अनाज – महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक।
- कुल दालें – मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान।
- कुल खाद्यान्न – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब।
- गन्ना – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक।
- कुल तिलहन – मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र।
- सोयाबीन – मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान।
- सूरजमुखी – कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश।
- वर्ष 2015-16 के अंतिम अनुमान के अनुसार विभिन्न फसलों का उत्पादन में चार सबसे बड़े उत्पादक राज्य है :-
- कुल फल – उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात।
- कुल सब्जी – उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार।
- आलू – उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात।
- आम – उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक।
- लीची – बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़।
- अमरूद – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल।