- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 13 दिसंबर, 2017 को संपन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश चावल निर्यात प्रोत्साहन योजना को आगामी पांच वर्षों (2017-2022) के लिए लागू करने का निर्णय लिया गया।
- यह योजना 7 नवंबर, 2017 से 6 नवंबर, 2022 तक लागू रहेगी।
- इस योजना में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष निर्यातकों को मंडी शुल्क एवं विकास सेस पर छूट दी जाएगी।
- बासमती चावल का निर्यात दायित्व सिद्ध करने हेतु धान से चावल की रिकवरी का न्यूनतम मानक 45 प्रतिशत रखा गया है।
- नान-बासमती चावल निर्यात के संदर्भ में निर्यात दायित्व सिद्ध करने हेतु धान से चावल की रिकवरी का न्यूनतम मानक 50 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
- प्रत्यक्ष निर्यातकों को एपीडा जो भारत सरकार की संस्था है. में कराए गए पंजीकरण द्वारा मान्यता दी जाएगी, उन्हें प्रदेश में पृथक से कोई पंजीकरण नहीं कराना होगा।
- अप्रत्यक्ष निर्यातकों को शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पंजीकरण कराना होगा।
- प्रत्यक्ष निर्यातक यदि किसान या किसान उत्पादक संघ से सीधे क्रय करता है तो उसे 2.5 प्रतिशत की छूट एवं आढ़तियों के माध्यम से खरीदने पर 2 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
- अप्रत्यक्ष निर्यातकों को सीधे किसान या किसान उत्पादक संघ से क्रय करने पर मंडी शुल्क की 2 प्रतिशत की छूट एवं आढ़तियों के माध्यम से खरीदने पर मंडी शुल्क की 1.5 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
संभावित प्रश्न
प्रश्न:- उत्तर प्रदेश चावल निर्यात प्रोत्साहन योजना से संबंधित तथ्यों पर विचार करे –
(1) इस योजना को आगामी पांच वर्षों (2017-2022) के लिए लागू करने का निर्णय लिया गया है।
(2) बासमती चावल का निर्यात दायित्व सिद्ध करने हेतु धान से चावल की रिकवरी का न्यूनतम मानक 45 प्रतिशत रखा गया है।
(3) नान-बासमती चावल निर्यात के संदर्भ में निर्यात दायित्व सिद्ध करने हेतु धान से चावल की रिकवरी का न्यूनतम मानक 50 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
इन कथनों में से
(a) 1 और 2 सही है (b) 2 और 3 सही है
(c) 1 और 3 सही है (d) 1, 2 और 3 सही है
उत्तर- (d)