- 4 जुलाई, 2019 को केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की।
- 2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए आठ प्रतिशत की सतत वास्तविक जीडीपी विकास दर की जरूरत है।
- 2018-19 में अर्थव्यवस्था की स्थिति : एक व्यापक दृष्टि
- 2018-19 में भारत अब भी तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था है।
- जीडीपी की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 प्रतिशत की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 प्रतिशत हुई।
- 2018-19 में मुद्रास्फीति की दर 3.4 प्रतिशत तक सीमित रही।
- सकल अग्रिम के प्रतिशत के रूप में फंसे हुए कर्ज दिसम्बर, 2018 के अंत में घटकर 10.1 प्रतिशत रह गये, जोकि मार्च 2018 में 11.5 प्रतिशत थे।
- 2017-18 के बाद से निवेश की वृद्धि में सुधार हो रहा है :
- स्थिर निवेश में वृद्धि दर 2016-17 में 8.3 प्रतिशत से बढ़कर अगले साल 9.3 प्रतिशत और उससे अगले साल 2018-19 में 10.0 प्रतिशत हो गई।
- चालू खाता घाटा जीडीपी के 2.1 प्रतिशत पर समायोजित करने योग्य है।
- केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 प्रतिशत से घटकर 2018-19 में 3.4 प्रतिशत रह गया।
- निजी निवेश में वृद्धि और खपत में तेजी से 2019-20 में वृद्धि दर में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
- राजकोषीय घटनाक्रम :-
- जीडीपी के 3.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे और 44.5 प्रतिशत (अनंतिम) के ऋण-जीडीपी अनुपात के साथ वित्त वर्ष 2018-19 का समापन ।
- जीडीपी के प्रतिशत के अनुसार, वर्ष 2017-18 के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 के अनंतिम अनुमान में केन्द्र सरकार के कुल परिव्यय में 0.3 प्रतिशत की कमी।
- राजस्व व्यय में 0.4 प्रतिशत की कमी और पूंजीगत व्यय में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि।
- वर्ष 2017-18 के संशोधित अनुमान में राज्यों के स्वयं के कर और गैर-कर राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि और वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में इसके इसी स्तर पर बरकरार रहने की परिकल्पना की गई है।
- सामान्य सरकार (केन्द्र और राज्य) राजकोषीय सुदृढ़ीकरण और राजकोषीय अनुशासन की राह पर।
- संशोधित राजकोषीय सुदृढ़ीकरण मार्ग के तहत वित्त वर्ष 2020-21 तक जीडीपी के 3 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे और वर्ष 2024-25 तक जीडीपी के 40 प्रतिशत केन्द्र सरकार ऋण को प्राप्त करने की परिकल्पना की गई है।
- मुद्रा प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता
- एनपीए अनुपात में कमी आने से बैंकिंग प्रणाली बेहतर हुई।
- दिवाला और दिवालियापन संहिता से बड़ी मात्रा में फंसे कर्जों का समाधान हुआ और व्यापार संस्कृति बेहतर हुई।
- 31 मार्च, 2019 तक सीआईआरपी के तहत 1,73,359 करोड़ रुपये के दावे वाले 94 मामलों का समाधान हुआ।
- 28 फरवरी, 2019 तक 2.84 लाख करोड़ रुपये के 6079 मामले वापस ले लिये गए।
- आरबीआई की रिपोर्ट की अनुसार फंसे कर्ज वाले खातों से बैंकों ने 50,000 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
- अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपयों को गैर-मानक से मानक परिसंपत्तियों में अपग्रेड किया गया।
- बैंचमार्क नीति दर पहले 50 बीपीएस बढ़ाई गई और फिर पिछले वर्ष बाद में 75 बीपीएस घटा दी गई।
- सितंबर, 2018 से तरलता स्थिति कमजोर रही और सरकारी बॉन्डों पर इसका असर दिखा।
- एनबीएफसी क्षेत्र में दबाव और पूंजी बाजार से प्राप्त किए जाने वाले इक्विटी वित्त उपलब्धता में कमी के कारण वित्तीय प्रवाह संकुचित रहा।
- 2018-19 के दौरान सार्वजनिक इक्विटी जारी करने के माध्यम से पूंजी निर्माण में 81 प्रतिशत की कमी आई।
- एनबीएफसी के ऋण विकास दर में मार्च, 2018 के 30 प्रतिशत की तुलना में मार्च, 2019 में 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
- मूल्य और महंगाई दर
- सीपीआईसी पर आधारित महंगाई दर में लगातार 5वें वर्ष गिरावट दर्ज की गई। पिछले 2 वर्षों से यह 4 प्रतिशत से कम रही है।
- उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) आधारित खाद्य मुद्रा स्फ्रीति में भी लगातार 5वें वर्ष गिरावट दर्ज की गई और ये पिछले 2वर्षों के दौरान 2 प्रतिशत से भी कम रही है।
- सीपीआई-सी आधारित महंगाई दर (सीपीआई में खाद्यान्न और ईंधन छोड़कर) 2017-18 की तुलना में 2018-19 में हुई वृद्धि के बाद मार्च, 2019 से कम हो रही है।
- 2018-19 के दौरान सीपीआई-सी आधारित महंगाई दर के मुख्य कारक हैं आवास, ईंधन व अन्य। मुख्य महंगाई दर के निर्धारण में सेवा क्षेत्र का महत्व बढ़ा है।
- 2017-18 की तुलना में 2018-19 के दौरान सीपीआई ग्रामीण महंगाई दर में कमी आई है। हालांकि सीपीआई शहरी महंगाई दर में 2018-19 के दौरान थोड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। 2018-19 के दौरान कई राज्यों में सीपीआई महंगाई दर में कमी आई है।
- सतत विकास और जलवायु परिवर्तन
- भारत का एसडीजी सूचकांक अंक राज्यों के लिए 42 से 69 के बीच और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 57 से 68 के बीच है।
- राज्यों में 69 अंकों के साथ केरल और हिमाचल प्रदेश सबसे आगे है।
- केन्द्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़ और पुद्दुचेरी क्रमशः 68 और 65 अंकों के साथ सबसे आगे हैं।
- नामामि गंगे मिशन को एसडीजी-6 को हासिल करने के लिए नीतिगत प्राथमिकता के आधार पर लॉन्च किया गया था। इस कार्यक्रम के लिए 2015-20 की अवधि के लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया था।
- एसडीजी को हासिल करने के लिए संसाधन दक्षता पर राष्ट्रीय नीति का सुझाव दिया गया था।
- 2019 में पूरे देश के लिए एमसीएपी कार्यक्रम लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य है :-
- वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कम करना।
- पूरे देश में वायु की गुणवत्ता के निगरानी नेटवर्क को मजबूत करना।
- 2018 में कटोविस, पौलेंड में आयोजित सीओपी-24 की उपलब्धियां:-
- विकसित और विकासशील देशों के लिए विभिन्न शुरुआती बिंदुओं (स्टार्टिंग पाइंट) की पहचान।
- विकासशील देशों के प्रति रुख में लचीलापन।
- समानता व साझा परन्तु पृथक जिम्मेदारी और कार्यक्षमता सहित सिद्धांतों पर विचार।
- पेरिस समझौता जलवायु वित्त की भूमिका पर जोर देता है जिसके बिना प्रस्तावित एनडीसी का लाभ नहीं मिल सकता।
- अंतर-राष्ट्रीय समुदाय ने अनुभव किया कि विकसित देश जलवायु वित्त प्रवाह के बारे में विभिन्न दावे कर रहे हैं। परन्तु वास्तविकता में वित्त प्रवाह इन दावों से काफी कम है।
- भारत के एनडीसी को लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों के वित्तीय सहायता के साथ घरेलू बजटीय सहायता की भी आवश्यकता हैं।
- विदेशी क्षेत्र :-
- डब्ल्यूटीओ के अनुसार विश्व व्यापार का विकास 2017 के 4.6 प्रतिशत की तुलना में 2018 में कम होकर 3 प्रतिशत रह गया है। कारण :-
- नई और बदला लेने की प्रवृत्ति से प्रेरित टैरिफ उपाय।
- यूएस-चीन के बीच व्यापार तनाव में बढ़ोत्तरी।
- कमजोर वैश्विक आर्थिक विकास।
- वित्तीय बाजार में अनिश्चितता (डब्ल्यूटीओ)।
- भारतीय मुद्रा के संदर्भ में रुपये के अवमूल्यन के कारण जहां 2018-19 के दौरान निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई, वहीं आयात में कमी आई।
- 2018-19 के अप्रैल-दिसंबर के दौरान कुल पूंजी प्रवाह मध्यम स्तर का रहा जबकि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के प्रवाह में तेजी रही। इसका कारण पोर्टफोलियो निवेश के अंतर्गत निकासी की उच्च मात्रा रही।
- दिसंबर, 2018 तक भारत का विदेशी ऋण 521.1 बिलियन डॉलर था। यह मार्च, 2018 के स्तर से 1.6 प्रतिशत कम है।
- विदेशी ऋण के संकेतक बताते हैं कि भारत का विदेशी ऋण दीर्घावधि का नहीं है।
- कुल देयताएं और जीडीपी का अनुपात (ऋण और गैर-ऋण घटकों के समावेश के साथ) 2015 के 45 प्रतिशत से कम होकर 2018 में 38 प्रतिशत हो गया है।
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की हिस्सेदारी बढ़ी है और कुल देयताओं में कुल पोर्टफोलियो निवेश में कमी आई है। यह दिखाता है कि चालू खाते के घाटे को धन उपलब्ध कराने के लिए अधिक स्थिर स्रोतों की ओर स्थानांतरण हुआ है।
- 2017-18 के दौरान भारतीय रुपये का मूल्य प्रति डॉलर 65-68 रुपये था। परन्तु अवमूल्यन के साथ भारतीय रुपये का मूल्य 2018-19 के दौरान प्रति डॉलर 70-74 रुपये हो गया।
- आयात की क्रय क्षमता को दर्शाने वाले रूझानों में लगातार तीव्र बढ़ोतरी हो रही है। ऐसा शायद इसलिए संभव हुआ है क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में भारत के निर्यात की तुलना में अभी भी तेजी नही आई है।
- 2018-19 में विनिमय दर में पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा उतार-चढ़ा रहा। ऐसा कच्चे तेल की कीमतों में हलचल की वजह से हुआ।
- 2018-19 में भारत के निर्यात आयात बास्केट का स्वरूप
- निर्यात (पुनर्निर्यात सहित): 23,07,663 करोड़ रुपये
- आयातः 35,94,373 करोड़ रुपये
- सबसे ज्यादा निर्यात वाली वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती पत्थर, दवाएं के नुस्खे, स्वर्ण और अन्य कीमती धातु शामिल रहीं।
- सबसे ज्यादा आयात वाली वस्तुओं में कच्चा तेल, मोती, कीमती पत्थर तथा सोना शामिल रहा।
- भारत के मुख्य व्यापार साझेदारों में अमेरिका, चीन, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब शामिल रहे।
- भारत ने 2018-19 में विभिन्न देशों/देशों के समूह के साथ 28 द्विपक्षीय, बहु-पक्षीय समझौते किए।
- इन देशों को कुल 121.7 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य का निर्यात किया गया, जोकि भारत के कुल निर्यात का 36.9 प्रतिशत था।
- इन देशों से कुल 266.9 अरब डॉलर मूल्य का आयात हुआ, जो भारत के कुल आयात का 52.0 प्रतिशत रहा।
- कृषि और खाद्य प्रबंधन
- सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) 2014-15 में देश के कृषि क्षेत्र ने 0.2 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि से उबरकर 2016-17 में 6.3 प्रतिशत की विकास दर हासिल की, लेकिन 2018-19 में यह घटकर 2.9 प्रतिशत पर आ गई।
- सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) 2017-18 में कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण 15.2 प्रतिशत घटा। 2016-17 में यह 15.6 प्रतिशत रहा था।
- कृषि में 2016-17 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र का जीसीएफ जीवीए के प्रतिशत के रूप में 2.7 प्रतिशत बढ़ा। 2013-14 में यह 2.1 प्रतिशत के स्तर पर था।
- कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी 2005-06 के अवधि के 11.7 प्रतिशत की तुलना में 2015-16 में बढ़कर 13.9 प्रतिशत हो गई। छोटे और सीमांत किसानों में ऐसी महिलाओं की संख्या 28 प्रतिशत रही।
- 89 प्रतिशत भू-जल का इस्तेमाल सिंचाई कार्य के लिए किया गया है। ऐसे में भूमि की उत्पादकता से अधिक ध्यान सिंचाई के लिए जल की उत्पादकता पर दिया जाना चाहिए।
- उर्वरकों के प्रभाव का अनुमात लगातार घट रहा है। जीरो बजट सहित जैविक और प्राकृतिक खेती की तकनीक सिंचाई जल के तर्कसंगत इस्तेमाल और मिट्ठी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद कर सकती है।
- लघु और सीमांत किसानों के बीच संसाधनों के इस्तेमाल को अधिक न्याय संगत बनाने के लिए आईसीटी को लागू करना और कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए सक्षम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देना जरूरी।
- कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के समग्र और सतत विकास के लिए आजीविकाओं के संसाधनों का वैविधिकरण। इसके लिए नीतियों में इन बातों पर ध्यान देना होगाः-
- दुनिया में दुध के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा।
- पशु धन का विकास।
- दुनिया में मछलियों के दूसरे बड़े उत्पादक देश भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देना।
- उद्योगों और अवसंरचना
- 2018-19 में आठ बुनियादी उद्योगों के कुल सूचकांक में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि।
- विश्व बैंक के कारोबारी सुगमता रिपोर्ट 2019 में भारत दुनिया के 190 देशों में 77वें स्थान पर पहुंचा। पहले की तुलना में 23 स्थान ऊपर उठा।
- 2018-19 में देश में सड़क निर्माण कार्यों में 30 किलोमीटर प्रति दिन के हिसाब से तरीकी हुई। 2014-15 में सड़क निर्माण 12 किलोमीटर प्रति दिन था।
- 2017-18 की तुलना में 2018-19 में रेल ढुलाई और यात्री वाहन क्षमता में क्रमशः 5.33 और 0.64 की वृद्धि हुई।
- देश में 2018-19 के दौरान कुल टेलीफोन कनेक्शन 118.34 करोड़ पर पहुंच गया।
- बिजली की स्थापित क्षमता 2019 में 3,56,100 मेगावाट रही, जबकि 2018 में यह 3,44,002 मेगावाट थी।
- अवसंरचना कमियों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी जरूरी।
- प्रधानमंत्री आवास योजना और सौभाग्य योजनाओं जैसे प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से टिकाऊ और लचीली अवसंरचनाओं को खास महत्व दिया गया।
- अवसंरचना क्षेत्र से जुड़़े विवादों का नीयत समय पर निपटान करने के लिए संस्थागत प्रणाली की आवश्यकता।
- सेवा क्षेत्र
- सेवा क्षेत्र (निर्माण को छोड़कर) की भारत के जीवीए में 54.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी है और इसने 2018-19 में जीवीए की वृद्धि में आधे से अधिक योगदान दिया है।
- 2017-18 में आईटी-बीपीएम उद्योग 8.4 प्रतिशत बढ़कर 167 अरब अमरीकी डॉलर पर पहुंच गया और इसके 2018-19 में 181 अरब अमरीकी डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है।
- सेवा क्षेत्र की वृद्धि 2017-18 के 8.1 प्रतिशत से मामूली रूप से गिरकर 2018-19 में 7.5 प्रतिशत पर आ गई।
- त्वरित गति से बढ़े उप-क्षेत्र : वित्तीय सेवाएं, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाएं।
- धीमी गति से बढ़ने वाले क्षेत्र : होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण सेवाएं।
- वर्ष 2017 में रोजगार में सेवाओं की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत थी।
- पर्यटन
- वर्ष 2018-19 में 10.6 मिलियन विदेशी पर्यटक आए, जबकि 2017-18 में इनकी संख्या 10.4 मिलियन थी।
- पर्यटकों से विदेशी मुद्रा की आमदनी 2018-19 में 27.7 अरब अमरीकी डॉलर रही, जबकि 2017-18 में 28.7 अरब अमरीकी डॉलर थी।
- सामाजिक बुनियादी ढांचा, रोजगार और मानव विकास
- समग्र विकास के लिए सामाजिक बुनियादी ढांचे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और संपर्क स्थापित करने में सार्वजनिक निवेश महत्वपूर्ण है।
- जीडीपी के प्रतिशत के रूप में निम्न पर सरकारी व्यय (केन्द्र+राज्य)
- स्वास्थ्य : 2018’19 में 1.5 प्रतिशत वृद्धि की गई, जो 2014-15 में 1.2 प्रतिशत थी।
- शिक्षा : इस अवधि के दौरान 2.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत किया गया।
- शिक्षा के मात्रात्मक और गुणात्मक संकेतकों में पर्याप्त प्रगति आएगी, जिसमें नाम लिखवाने के सकल अनुपात, लिंग समानता सूचकांक और प्राइमरी स्कूल के स्तर पर पढ़ाई के नतीजों में सुधार दिखाई दिया।
- कौशल विकास को इस प्रकार प्रोत्साहन :–
- वित्तीयन साधन के रूप में कौशल प्रमाण पत्रों की शुरूआत, ताकि युवा किसी भी मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें।
- पीपीपी मोड में; पाठ्यक्रम विकासृ उपकरण के प्रावधान, प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण आदि के लिए प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने में उद्योग को शामिल करना।
- रेलवे कर्मियों और अर्द्ध सैनिकों को कठिन स्थानों में प्रशिक्षण देने के लिए मनाया जा सकता है।
- मांग-आपूर्ति अंतरालों के आकलन के लिए स्थानीय निकायों को शामिल करके प्रशिक्षकों का डेटाबेस बनाकर, ग्रामीण युवकों के कौशल की मैपिंग कुछ अन्य प्रस्तावित पहलें हैं।
- ईपीएफ के अनुसार औपचारिक क्षेत्र में मार्च 2019 में रोजगार सृजन उच्च स्तर पर 8.15 लाख था, जबकि फरवरी 2018 में यह 4.87 लाख था।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के अंतर्गत 2014 से करीब 1,90,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के अंतर्गत करीब 1.54 करोड़ घरों का निर्माण कार्य पूरा किया गया, जबकि 31 मार्च, 2019 तक मूलभूत सुविधओं के साथ एक करोड़ पक्के मकान बनाने का लक्ष्य था।
- स्वस्थ भारत के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और आयुष्मान भारत योजना के जरिए पहुंच योग्य, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
- देश भर में वैकल्पिक स्वास्थ्य सेवाएं, राष्ट्रीय आयुष मिशन की शुरूआत की गई, ताकि सस्ती और आयुष स्वास्थ्य सेवा के बराबर सेवा दी जा सके, ताकि इन सेवाओं की पहुंच में सुधार हो और सस्ती सेवाएं मिलें।
- बजटीय आवंटन पर वास्तविक व्यय को बढ़ाकर और पिछले चार वर्ष में बजट आवंटन बढ़ाकर रोजगार सृजन योजना मनरेगा को प्राथमिकता दी गई।